बुधवार, 27 अप्रैल 2011

मेरे लिये

नशे की वजह हो तुम मेरे लिए,

नशे की दवा भी तुम मेरे लिए....


              {१}

रात भी तुम,  दिन भी तुम,

और दिन का आतप भी तुम,

ग़र धूप हो तुम;तो घनी धूप में,

सघन छाँव भी तुम मेरे लिए....


                {२}

क्या कहूं कि क्या-क्या हो तुम,

ग़र हो तुम मेरे लिए तप्त मन;तो,

जीवन-मरू के इस तपते मन में,

शीतल चन्दन भी तुम मेरे लिए..... 


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